Kamukta, antarvasna: मैं कुछ दिनों के लिए अपने मामा जी के घर जाता हूं मम्मी भी मेरे साथ आई हुई थी हम लोग कुछ दिन मामा जी के घर पर ही रुके और फिर हम लोग वापस अपने घर लौट आए। मैं भी नौकरी की तलाश में था लेकिन मुझे कहीं नौकरी मिली नहीं थी मैं काफी ज्यादा परेशान हो गया था। मैं अपने करियर को लेकर बहुत ज्यादा चिंतित था लेकिन अभी तक मुझे कहीं भी नौकरी मिल नहीं पाई थी लेकिन जल्द ही मुझे एक कंपनी में नौकरी मिल गई। जब मुझे एक कंपनी में नौकरी मिली तो मैं काफी खुश था और मैं इस बात से बहुत ज्यादा खुश था कि मैं उस कंपनी में जॉब करने लगा हूं और मेरी तनख्वाह भी अच्छी थी। मेरे ऑफिस में ही संध्या जॉब करती थी संध्या की सगाई हो चुकी थी लेकिन संध्या के साथ मेरी काफी अच्छी बातचीत थी और हम दोनों को एक दूसरे से बात करना अच्छा लगता। मैं संध्या को अपने बहुत ज्यादा करीब पाता था मैं और संध्या एक दूसरे के बहुत नजदीक आने लगे थे लेकिन संध्या की सगाई हो चुकी थी और उसे डर था कि कहीं उसके परिवार वालों को पता चल गया तो वह लोग उसके बारे में क्या सोचेंगे इस वजह से संध्या बहुत डरी हुई थी।
वह अपनी फैमिली वालों से मेरे और अपने रिश्ते के बारे में बात नहीं कर पा रही थी। मैंने संध्या को एक दिन कहा कि संध्या मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं और तुम्हारे बिना मैं रह नहीं पाऊंगा लेकिन संध्या अपनी मजबूरी के आगे मजबूर थी और उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि उसे ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए। मैं भी कुछ नहीं समझ पा रहा था क्योंकि मेरे पास भी कोई रास्ता नहीं था और मैं सोचने लगा कि क्या मुझे संध्या के साथ रिलेशन में रहना चाहिए या नहीं। मुझे फिलहाल तो कोई भी रास्ता नजर नहीं आ रहा था मैं यह बात सोच रहा था की मुझे संध्या से अलग हो जाना चाहिए। मेरी कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था मैं काफी ज्यादा परेशान हो चुका था लेकिन संध्या ने मेरा साथ दिया और उसने मुझे कहा कि मैं अपनी फैमिली से इस बारे में बात करूंगी। जब संध्या ने अपने पापा से इस बारे में बात की तो वह बहुत ही ज्यादा गुस्सा हो गए थे और वह इतना ज्यादा गुस्सा थे कि उन्होंने संध्या को समझाया और कहा कि देखो संध्या तुम किसी भी लड़के से ऐसे शादी के बारे में नहीं सोच सकती क्योंकि अब तुम्हारी सगाई हो चुकी है। संध्या ने मुझे इस बारे में बताया तो मैं काफी ज्यादा टूट चुका था और संध्या मेरी जिंदगी से दूर होती भी मुझे दिखाई दे रही थी।
संध्या के पापा चाहते थे कि उसकी शादी जल्द से जल्द हो जाए और उसकी शादी के लिए उसके पापा ने सारी तैयारियां कर ली थी तो मुझे अब डर लगने लगा था कि कहीं संध्या मुझसे दूर ना हो जाये। संध्या ने अब ऑफिस भी छोड़ दिया था और वह मुझसे मिलती भी नहीं थी मैं बहुत ज्यादा परेशान हो चुका था मुझे अब लगने लगा था कि मैं संध्या की बिना बिल्कुल भी रह नहीं पाऊंगा। मैंने संध्या को कई फोन किये लेकिन उसने मेरा फोन नहीं उठाया कुछ दिन बाद मुझे पता चला कि संध्या की शादी हो चुकी है। संध्या की अब शादी हो चुकी थी और वह मेंरी जिंदगी से दूर जा चुकी थी मैं भी बहुत ज्यादा परेशान रहने लगा था मैं मानसिक रूप से भी काफी ज्यादा परेशान रहने लगा था इसलिए मैंने नौकरी भी छोड़ दी थी। मैं अब अपने ऑफिस से रिजाइन दे चुका था लेकिन जल्द ही मुझे दूसरी नौकरी मिल गई जब मैं दूसरी जगह जॉब करने लगा तो मैं अभी भी अपनी पिछली यादों को भुला नहीं पाया था जो कि मैंने संध्या के साथ बिताए थे। संध्या के साथ मैं काफी अच्छा समय बताया था जिसे कि मैं आज भी नहीं भूल पाया था लेकिन मुझे अपनी जिंदगी में आगे बढ़ना था उसके लिए मुझे अब संध्या को भूलना ही था। मैंने संध्या को भुलाने की कोशिश की और अपने काम पर मैं पूरी तरीके से ध्यान देने लगा। मेरी जिंदगी में उस वक्त काफी बदलाव आने लगा जब मेरी जिंदगी में महिमा ने कदम रखा।
महिमा ने मेरी जिंदगी को पूरी तरीके से बदलकर रख दिया था और मैं बहुत ज्यादा खुश था। महिमा और मैं एक दूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने की कोशिश करते। मैं चाहता था कि महिमा को मैं अपने बारे में सब कुछ बता दूं इसलिए मैंने महिमा को अपने बारे में सब कुछ बता दिया। मैं महिमा को अपने बारे में सब कुछ बता चुका था महिमा बहुत ज्यादा खुश थी कि मैं और महिमा रिलेशन में है। महिमा चाहती थी कि वह मेरे साथ अपना जीवन बिताये और फिर हम दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया था लेकिन मैं चाहता था कि महिमा पहले अपनी फैमिली से इस बारे में बात कर ले। महिमा ने अपने परिवार वालों से बात की तो वह लोग मुझसे मिलना चाहते थे मैं जब महिमा की फैमिली से मिला तो मुझे बहुत अच्छा लगा और मैं काफी खुश था। महिमा और मैं एक दूसरे के साथ बहुत ही ज्यादा खुश थे और हम दोनों ने एक दूसरे के साथ शादी करने का फैसला कर लिया था। कुछ ही समय बाद हम दोनों ने शादी कर ली, जब मैंने और महिमा ने शादी की तो हम दोनों ही बहुत ज्यादा खुश थे। महिमा मेरा बहुत ध्यान रखती है और मैं अपनी जिंदगी में अब काफी आगे बढ़ चुका था महिमा मेरी जिंदगी में अब सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है और हम दोनों के बीच बहुत प्यार भी है। महिमा मुझे बहुत ज्यादा प्यार करती है और मैं भी महिमा को बहुत प्यार करता हूं। मेरे और महिमा के बीच सब कुछ अच्छे से चल रहा था। हम दोनों काफी ज्यादा खुश थे मेरा जब भी महिमा के साथ सेक्स करने का मन होता तो मैं महिमा के साथ सेक्स कर लिया करता।
वह भी मेरे साथ सेक्स करने के लिए हमेशा तैयार रहती। हम दोनों के बीच बहुत ही ज्यादा प्यार था। एक दिन जब मैं अपने ऑफिस से घर लौटा तो मैं काफी ज्यादा थका हुआ था। मैंने महिमा को कहा मुझे तुम्हारे साथ सेक्स करना है। महिमा मेरे साथ सेक्स करने के लिए तैयार थी। वह मुझे कहने लगी मैं तुम्हारे साथ सेक्स करने के लिए तैयार हूं। महिमा ने जब मेरे पजामे के नाडे को खोला तो उसने मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर ले लिया। वह मेरे लंड को अच्छे से चूसने लगी उसे भी बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था जब वह मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर सकिंग कर रही थी। मेरे अंदर की गर्मी बढने लगी थी मेरे लंड से पानी निकलने लगा था। वह मेरी गर्मी को बढाने लगी थी। महिमा बहुत ही ज्यादा तड़प रही थी वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ज्यादा गर्मी महसूस हो रही है। मैंने महिमा को कहा मुझे अच्छा लग रहा है। मैंने अब महिमा के बदन को पूरी तरीके से महसूस करना शुरू कर दिया था। मैं उसके बदन को महसूस कर रहा था तो मुझे काफी ज्यादा अच्छा लग रहा था। जब मैं महिमा के बदन को महसूस कर रहा था और महिमा के स्तनों को चूसता तो मुझे बहुत अच्छा लगता। मैंने उसके स्तनों से दूध भी बाहर निकाल दिया था। महिमा ने मेरे लंड को चूसकर अच्छे तरीके से खड़ा कर दिया था।
महिमा मेरे लंड को अपनी चूत में लेने के लिए बहुत ही ज्यादा उत्तेजित थी। मैने महिमा की चूत पर अपनी उंगली को लगाकर महिमा की चूत के अंदर घुसाना शुरू किया तो महिमा तड़पने लगी। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा है। महिमा की चूत से निकलता हुआ पानी बहुत ज्यादा बढ़ चुका था। वह मुझे कहने लगी मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है। मेरे अंदर की गर्मी भी अब बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी। महिमा बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी मैंने महिमा को कहा मैं तुम्हारी चूत में अपने लंड को घुसाना चाहता हूं यह कहकर मैंने महिमा के दोनों पैरों को खोल लिया। जब मैंने अपने मोटे लंड को महिमा की योनि के अंदर प्रवेश करवाया तो वह जोर से चिल्लाकर मुझे कहने लगी मेरी चूत मे बहुत दर्द हो रहा है। महिमा की चूत में बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था उसे इतना ज्यादा मजा आ रहा था कि वह मेरा साथ अच्छे से दे रही थी। मैं महिमा की चूत के अंदर बाहर अपने लंड को किए जा रहा था जब मैं ऐसा करता तो मुझे बहुत ज्यादा मजा आता और महिमा को भी काफी ज्यादा अच्छा लग रहा था। मेरे और महिमा की गर्मी अब लगातार बढ़ती जा रही थी हम दोनों के अंदर से निकलती हुई गर्मी अब इतनी अधिक हो चुकी थी कि ना तो उसे महिमा रोक पा रही थी और ना ही मैं रोक पा रहा था।
मैंने जैसे ही महिमा की चूत के अंदर अपने माल को गिराया तो महिमा खुश हो गई और कहने लगी तुमने मेरी गर्मी को शांत कर दिया। महिमा चाहती थी कि मैं उसे घोड़ी बनाकर चोदा और मैने महिमा की चूतडो को अपनी तरफ किया। मैंने जब अपने मोटे लंड पर तेल की मालिश की तो मेरा लंड पूरी तरीके से चिकना हो गया था। मैंने महिमा की योनि के अंदर जब अपने लंड को घुसाना शुरू किया तो महिमा की योनि में मेरा लंड धीरे-धीरे प्रवेश हो चुका था। जैसे ही मेरा लंड महिमा की योनि के अंदर चला गया तो वह बहुत जोर से चिल्लाकर मुझे कहने लगी मेरी चूत में बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है। महिमा मेरा साथ अच्छे से दे रही थी मैं उसे लगातार तेजी से धक्के मार रहा था। जब मैं महिमा को धक्के मारता तो उसे बहुत ही ज्यादा मजा आता और वह मुझे कहने लगी मुझे तुम ऐसे ही धक्के मारते रहो। मैंने महिमा को काफी तेजी से धक्के मारे। जब मेरा माल महिमा की चूत में गिरने वाला था तो महिमा मुझे कहने लगी तुम अपने माल को मेरी चूत में ही गिरा दो। महिमा की चूत से गर्मी बाहर निकल रही थी मैंने महिमा की योनि के अंदर ही अपने माल को गिरा कर उसकी इच्छा को पूरा कर दिया।